दो बहने - 1 Mansi द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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दो बहने - 1

प्रीतमपुरा गाओ मे एक मध्यम वर्गीय पति पत्नी रहते थे जिनका नाम सरला ओर खिमजी था।उनकी १५ ओर १६ साल की दो बेटियां थी एक निशा ओर दूसरी नियती।निशा नियती से १ साल बड़ी थी।निशा स्वभाव मे चंचल, बदतमीज ओर जिद्दी थी वहीं नियती के स्वभाव में सादगी और सरलता थी।
निशा नियती को कुछ खास पसंद नहीं करती थी,वह नियती को अपने आप से कम समज़ती थी वह खुद को नियती से ज्यादा समाजदार ,चतुर ओर खूबसूरत मानती थी।निशा बड़ी थी इस कारण वह अपना सारा काम नियती से करवाती थी और नियती खुशी खुशी निशा का सारा काम करती थी।
एक दिन रात को निशा ने एक काम दिया नियती को लेकिन नियती को दूसरा काम होने की वजह से उसने निशा से कहा दीदी मुझे अभी एक दूसरा काम है मे तुम्हारा काम बाद मे करती हूं,यह सुनकर निशा को बहोत गुस्सा आया उसने नियती को खूब सुनाया कहा "देखो तुम मूजसे छोटी हो ज्यादा होशियारी मत करो मे जैसा कहती हूं वैसा ही करो" नियती चुपचाप उसकी बाते सुनती रही कुछ नहीं बोला ओर निशा का कम कर दिया यह सब सरला ने सुन लिया।
सरला यह सुनकर अपने कमरे मे चली गई ये सारी बातें उसने खिमजी से कहा ,सरला ने कहा " सुनिए जी आप कभी निशा को कुछ नहीं कहते इस लिए उसकी जबान इतनी तेज़ चलती है नियती के सामने" खिमजी ओर सरला को निशा को अपनी छोटी बहन के प्रती यह व्यवहार जरा भी पसंद नहीं आता था।
खिमजी ने कहा सरला तुम सही कह रही हो हमने कभी निशा को बचपन में डाटा नहीं इसलिए आज वह इतनी बिगड़ी हुई है।सरला ओर खिमजी नियती के पास गए और कहा "बेटा तुम निशा कि बात का बुरा मत मानना। नियती कहती है मां, पिताजी आप दोनों चिंता मत कीजिए मुझे दीदी को बातो का कभी बुरा नहीं लगता।यह सुनकर खिमजी कहता है मेरी बेटी कितनी समज़दार है।
रात काफी हो चुकी थी सब लोग सोने चले गए,नियती अपने कमरे में चली गई उसे नींद अभी नहीं आ रही थी इसलिए वह अपनी बालकनी में चली गई।आज पूनम थी चांद पूरा निकला हुआ था।नियती वह चांद को देख रही थी ऐसा लग रहा था मानो चांद भी नियती को देख रहा था और दोनों बाते कर रहे थे ,फिर वह सोने चलो गई।अगली सुबह सरला खाना बनाने रसोई में जा रही थी नियती ने कहा मां मे तुम्हारी मदद कर देती हूं ,निशा कभी उसको मां की किसी काम में मदद नहीं करती थी वह वहा से चली जाती थी।
सरला ने देखा सब्जियां तो खत्म हो चुकी थी उसने नियती से कहा बेटा मे जा कर सब्जियां खरीद कर आती हूं ऐसा कह कर वह बाज़ार चलो गई।गाओ के लोग निशा के कभी मुह नहीं लगते थे, निशा सबके साथ बदतमीजी से बात करती थी। बाज़ार मे दो औरतें जमना ओर मीना आपस मे बाते कर रही थी जमना कह रही थी सरला की बेटी निशा पूरे गाओ मे सबके साथ बदतमीजी से बात करती है वहीं नियती के स्वभाव की तो क्या बात करे ऐसी बेटी तो सबके घर होनी चाहिए।यह बाते सरला ने सुन लिया फिर सरला सब्जियां खरीद कर घर चली गई।
घर पोहचकर वह नियती से कहती है बेटा मेने बहुत पुण्य किए होंगे जो तू हमारी बेटी है ,वहीं निशा को देखो जरा भी उसमे तमीज नहीं है ,नियती कहती है मां दीदी का स्वभाव बस थोड़ा कड़क है ओर कुछ नहीं वह दिल की बुरी नहीं है। नियती के मुंह से निशा के बारे में यह सुन कर उसने सोचा कितनी इज्ज़त करती है यह अपनी बड़ी बहन की।
तभी वहा खिमजी आया ओर निशा भी आयी खिमजी ने कहा कल हम सब शिवरात्री का मेला लगा है वहा जायेंगे।निशा बहुत खुश हो गई ओर नियती कहती है मुझे मेला बहुत पसंद है।



कहानी का Part2 जल्द आएगा😊